कक्षा 10 अध्याय 6 मंगलेश डबराल-संगतकार का समाधान ##परिचय कक्षा 10 अध्याय 6 मंगलेश डबराल-संगतकार का समाधान भारतीय साहित्य में कई उत्कृष्ट कवि हुए हैं जिन्होंने अपनी अनूठी कला के जरिए समाज को जागृत करने का काम किया। उनमें से एक हैं मंगलेश डबराल जो उत्तराखंड के एक मैथिली ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। उनका जन्म 6 मार्च 1928 को हुआ था और उन्होंने अपनी जीवनी में कई कार्य किए। उन्होंने उत्तराखंड के साथ-साथ भारत के साहित्य जगत में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई। ##बचपन और शैक्षिक जीवन मंगलेश डबराल का जन्म उत्तराखंड के एक मैथिली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता रामचंद्र डबराल एक ग्राम पंचायत में काम करते थे। मंगलेश जी को बचपन से ही साहित्य का शौक था। उन्होंने अपनी शिक्षा उत्तराखंड में पूरी की। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद दिल्ली जाकर वहां से उन्होंने एमए की डिग्री प्राप्त की। ##कवि मंगलेश डबराल की शायरी मंगलेश डबराल को साहित्य का शौक था और उन्होंने शायरी को अपना जीवन बनाया। उनकी शायरी में रोमांचक और गहरे भाव होते हैं जो सुनने वालों को उनके द्वारा समझाए जाने वाले महत्वपूर्ण संदेशों को समझने में मदद करते हैं। मंगलेश जी की शायरी में ज्ञान, प्रेम, भक्ति और समझ का संगम होता है। उन्होंने अपनी शायरी में विविधता को जीवंत किया। उनकी शायरी में अनेक विषयों पर विचार किया गया है जैसे- प्रकृति, भारतीय संस्कृति, देशभक्ति और मानवता। उनकी शायरी में भाव बखूबी व्यक्त होते हैं। उन्होंने शायरी के माध्यम से लोगों के मनोभावों को समझाने की कोशिश की है। उनकी शायरी का एक उदाहरण यहां दिया जा रहा है| हर कदम पर उसका इंतजार करता है, कुछ नजदीक होते हुए भी दूर नजर आता है, वो समझता नहीं है हमारे इशारों को, अपनी निगाहों से कभी हमें तो देखा होता।