कक्षा 10 अध्याय 3 मैथिलीशरण गुप्त-मनुष्यता का समाधान
कक्षा 10 अध्याय 3 मैथिलीशरण गुप्त-मनुष्यता का समाधानमैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 को झाँसी के निकट चिरगाँव में हुआ। उनके बचपन का नाम ‘मिथिलाधिप नंदनशरण’ था।
मैथिलीशरण गुप्त अपने जीवन के समय एक महान कवि थे और उनकी कविताएं आज भी हमारे दिलों में बसी हुई हैं। वे हिंदी के नए और विशिष्ट रूप का संगठक थे और इसलिए उन्हें “भावग्राही कवि” कहा जाता था। उनके उपन्यास और कविताएं आधुनिक हिंदी साहित्य के रूप में जाने जाते हैं।
मैथिलीशरण गुप्त की प्रमुख कृतियों में से एक ‘साकेत’ है, जो एक महाकाव्य के रूप में जाना जाता है। उनके अन्य खंडकाव्यों में ‘रंग में भंग’, ‘जयद्रथ-वध’, ‘शकुंतला’, ‘पंचवटी’, ‘किसान’, ‘सैरंध्री’, ‘वकसंहार’, ‘वन वैभव’, ‘शक्ति’, ‘यशोधरा’, ‘द्वापर’, ‘सिद्धराज’, ‘नहुष’, ‘कुणाल गीत’, ‘कर्बला’, ‘अजित’, ‘हिडिंबा’, ‘विष्णुप्रिया’, ‘रत्नावली’ और ‘उर्मिला’ शामिल हैं।
उन्होंने अपने काव्यों में इतिहास, प्रेम, आत्मा, भारतीय संस्कृति, धर्म और समाज के मुद्दों पर विचार किए
उनकी कविताओं में श्रद्धा, जीवन जीने के उत्साह, व्यक्तिगत विकास के प्रति उत्सुकता तथा समाज के सुधार के प्रति उनकी चिंता प्रधान थी। उनकी कविताओं में अधिकतर भावनात्मकता तथा उत्कृष्ट छंद-बंदिश दिखती है।