कक्षा 10 अध्याय 1 सूरदास-पद का समाधान
पद की परिभाषा
कक्षा 10 अध्याय 1 सूरदास-पद का समाधान-पद का अर्थ होता है “पैर”, और यह एक छंद और गीत का एक संयोजन है। पद अधिकतर भारतीय संस्कृति में देखा जाता है और यह भजन या कविता के रूप में उपयोग किया जाता है। पद के विभिन्न भेद होते हैं, जैसे कि गोष्ठी पद, रूपक पद, बहुपद और समस्त पद। पद में चौबोटरा, दोहा, त्रिविक्रम और चारु रचनाएं शामिल होती हैं।
सूरदास की जीवनी
सूरदास-पद का समाधान
सूरदास भारतीय संस्कृति में एक प्रसिद्ध कवि थे। उनका जन्म 1478 ईसा पूर्व में हुआ था। वे उत्तर प्रदेश के मथुरा में जन्मे थे। उनके पिता का नाम रामदास था और माँ का नाम कृष्णा था। सूरदास ने एक बहुत ही कठिन जीवन जीता था, लेकिन वे अपनी कविताओं से लोगों को प्रेरित करते रहे।
सूरदास ने बहुत सी कविताएं लिखीं थीं जो उनके जीवन के विभिन्न अंशों से जुड़ी थीं। उन्होंने कई भजन भी लिखे थे जो अपने समय में बहुत लोकप्रिय थे। उनकी कविताओं और भजनों में भगवान कृष्ण की भक्ति की गहराई से बात की गई है। उन्होंने लोगों को इस बात का एहसास दिलाया कि भगवान के साथ संबंध बनाने के लिए आवश्यक है कि हम अपने मन को शुद्ध रखें और उसके आसपास के सब कुछ भूल जाएं।”पद” उनकी कविता का एक अंश है जिसमें भगवान कृष्ण के लिए गाया गया है। यह रचना उनकी भक्ति को दर्शाती है। इस रचना में सूरदास जी ने अपने मन की भावनाओं को बयां किया है जो भगवान कृष्ण के प्रति थे।